Top 10 Superhit Shayari by Jaun Eliya: Timeless Expressions of Love and Pain

Discover the essence of Jaun Eliya's poetry with these top 10 superhit shayaris. Explore his poignant expressions of love, loss, and introspection, showcasing why he remains a celebrated figure in Urdu literature. Dive into his world of timeless words and emotions.
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Description

Shayari 1

कौन इस घर की देखभाल करे
रोज़ इक चीज़ टूट जाती है

Shayari 2

अब किस से कहें और कौन सुने
जो हाल तुम्हारे बाद हुआ

Shayari 3

वो कर के वादा फ़रामोश हो गए
जो उनसे उम्मीद-ए-वफ़ा रखेगा
उसी को तवील शरार मिलेंगे

Shayari 4

मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
खुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं

Shayari 5

तुझ से बिछड़ कर एक जमाना हो गया है
फिर भी तेरा इंतजार बाकी है

Shayari 6

किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम
तू मुझ से खफा है तो ज़माने के लिए आ

Shayari 7

जो गुज़ारी न जा सकी हम से
हम ने वो ज़िन्दगी गुज़ारी है

Shayari 8

कौन इस राह से गुज़रता है
किस में हिम्मत है दर्द सरता है

Shayari 9

जी चाहता है खुल के रोना मगर
ठहाका मारने की आदत हो गई है

Shayari 10

अब मैं उस जगह हूँ जहाँ कोई मुझसे
न कोई ख्वाहिशें रखता है, न गिले करता है

jaun eliya

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  1. शायद मुझे किसी से मोहब्बत नहीं हुई
    लेकिन यकीन सबको दिलाता रहा हूँ मैं
  2. अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ
    शाम आ गई है लौट के जाने का वक़्त है
  3. मोहब्बत अपने हिसार में यूँही रखेगी हमें
    ये वो हवस नहीं जो कभी मुतमइन हो जाए
  4. वो बात सारे फसाने में जिसका ज़िक्र ना था
    वो बात उनको बहुत नागवार गुज़री है
  5. अब भी बरसात की रातों में बदन टूटता है
    जाग उठती हैं अजब ख़्वाहिशें अंगड़ाई की
  6. ख़ुदा की लानत इस दिल-ए-नादान पे ‘जौन’
    जो फिर ये कहना है कि बहुत दिल्लगी की थी
  7. हमें पता है तुम्हें सारी परेशानी का
    कि अब हमारी मोहब्बत पे उबाल आता है
  8. हयात अपनी कुछ इस शक्ल से गुज़री ‘जौन’
    हम जैसे जीते हैं कोई जी के दिखाए मुझे
  9. अजब नहीं कि ग़म-ए-दोस्त हो ग़म-ए-दुनिया
    कि हर कोई है परेशाँ तेरे जहाँ के लिए
  10. दिल तो चाहता है सच्चा हो जाए
    बस एक तमन्ना है झूठी न हो
  11. अभी है हौंसला मुझमें, अभी हूँ मैं जवाँ इतना
    कि तुझसे मिल के जीना है, बिछड़ कर मरना है मुझको
  12. अब मैं हूँ और मातम-ए-यक़ता-निशानियाँ
    तुमसे नहीं जो बातें मैं तुमसे किया करूँ
  13. किसी की जान के खतरे को कौन देखता है
    ये लोग हैं कि फक़त बात करते हैं मुझसे
  14. अब आ गए हैं दिल के शरारों में हम असीर
    अब घर के आँगन में जलाऊँ चिराग़ कैसे
  15. मुद्दतों बाद उसे देख कर जाना ‘जौन’
    कितने बे-लौस हैं अब तेरे तसव्वुर के लोग
  16. तूने सदीयों से इंतिज़ार किया है ‘जौन’
    अब किसी से शिकायत नहीं कर सकते हैं
  17. इक वक्त था की ये भी
    ग़म-ए-आशिकी का साथी था
  18. मुझे ख़ुद को भी बहुत महफूज़ रखना है ‘जौन’
    क्यूंकि अब तुमसे मिलना अब खुदा की मरज़ी है
  19. बेसबब नहीं रोया करता हूँ ‘जौन’
    कुछ तो है जिसकी सज़ा पाता हूँ
  20. अब उस के बाद ही ये शोला बुझ जाएगा ‘जौन’
    अब मेरे दिल की बेचैनी की वजह वो है
  21. अब वो एहसास भी कहाँ ‘जौन’
    जिस से कभी मोहब्बत की थी
  22. इक हद तक रंजों-ग़म गवारा है
    आखिर दर्द ही तो जिंदगी का साज़ है
  23. तुझे किस ख्याल में गुम हूँ मैं ‘जौन’
    तेरी आँखों का ये नशा क्यों उतरता नहीं
  24. तेरा न आना भी फिर सही
    बस इतनी सी बात है
  25. किसी के घर से अब गुज़रना नहीं चाहता ‘जौन’
    तेरे बगैर अब ये शहर भी नहीं लगता अपना
  26. रुखसत के वक़्त वो दर्द दे गया ‘जौन’
    मुझे वक़्त के साथ चलता हुआ पा लिया उसने
  27. इस ख़ामोशी का राज़ क्या है
    क्यूँ नहीं दिखता तू मुझको
  28. अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
    मेरा घर छोड़ के सारे शहर में बरसात हुई
  29. उसने हमको बता दिया है अब
    कि अब इंतज़ार बेकार है
  30. अब ना किसी दर्द से ये रिश्ता रहेगा
    अब कोई और है जो ज़ख्म मेरे भर रहा है

Superhit Shayaris by Jaun Eliya :

ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता
एक ही शख़्स था जहान में क्या

मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब हूँ कि बस
ख़ुद को तबाह कर लिया और मलाल भी नहीं

अब मैं किस रस्म-ए-वफ़ा को निभाऊँ ‘जौन’
तुझसे मिलने की भी अब कोई उम्मीद नहीं

बेरुखी पे भी अपनी दाद देनी है
खुद पे भी इतरा के देखते हैं हम

कौन इस घर की देखभाल करे
रोज़ एक चीज़ टूट जाती है

कभी जो अपने ही घर में लगा वो अजनबी सा
तो फिर मैं घर से कहीं और जाने की सोचूँगा

उसने कहा सुनो मुझे तुमसे एक गिला है
मैंने कहा मुझे भी अब तुमसे कुछ नहीं कहना

न उम्मीद-ए-वफ़ा न तुझसे कोई शिकायत है
दिल को तसल्ली खुद ही दी है कि तू मेरा है

अब ख़ुशी है न कोई दर्द रुलाने वाला
हमने अपना लिया हर रंग ज़माने वाला

आता है कौन कौन तेरे बाद देखने
गुरबत में हम ने मौत का सामान कर दिया

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